तेरी राह ताकते-ताकते, हम बेघर हुए, ना जानें कितने लोग मिले सफ़र में, सब बस मुझसे बेखबर हुए, दर पर खड़े थे हम उनके, वो कहते है, हम बस बेवजह मिले। भेजने का समय आज रात 12 बजे तक परिणाम की घोषणा कल दोपहर 1 बजे। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें