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शायरी दिल मे नफरतों का गुबार सा मत रक्खो इस तरह च

शायरी
दिल मे नफरतों का गुबार सा मत  रक्खो
इस तरह चेहरा लटका उदास सा मत रक्खो

कहीं डर न जाये कोई प्यार की देवी
थोड़ा हंस दो खुद को खूंखार सा मत रक्खो

कुछ दो दम रखो जुबां मे अपनी तुम
हर बात को यूहीं बेकार सा मत रक्खो

मारुफ आलम गुबार सा मत रक्खो/शायरी
शायरी
दिल मे नफरतों का गुबार सा मत  रक्खो
इस तरह चेहरा लटका उदास सा मत रक्खो

कहीं डर न जाये कोई प्यार की देवी
थोड़ा हंस दो खुद को खूंखार सा मत रक्खो

कुछ दो दम रखो जुबां मे अपनी तुम
हर बात को यूहीं बेकार सा मत रक्खो

मारुफ आलम गुबार सा मत रक्खो/शायरी
maroofhasan2421

Maroof alam

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