ये जो मै लिखता हूँ रोज़ हर श़ेर, शेर के हर हर्फ तुम्हे चुभते क्यूँ है। है लगता तुम्हे क्या, तुम हो वजह, वजह जो भी है, क्यूँ होती है टीस? टीस जो उठती है, क्या इत्तेफाक़ है, है ऐसा तो नहीं, तुमसे जुड़ा है सच। सच क्या है, किसको पता कभी यहाँ, यहाँ तो हर रोज़ मरता हूँ मौत कई। कई शामें बीत जाती है तुम्हारे बगैर, बगैर साँसों के फिर भी जी रहा हूँ मै। मैं जो तुमसे जो तुमसे कहना चाहता हूँ, हूँ सोचता फिर, क्या कोई फायदा होगा? होगा कुछ नहीं, इसिलिए बस चुप रहा, रहा यूँ खामोश गर, चली जाओगी तुम। तुम चली जाओगी, बेमतलब होगा सब, सब होगा मगर अब 'इकराश़' नहीं होगा। मोहब्बत से नफ़रत तक का सफ़र कुछ यूँ तय हुआ की वक़्त आ गया आखिरी अलविदा कहने का। आपका अपना हमेशा, अंजान 'इकराश़' #YqBaba #YqDidi #IkraashNaama #LoopPoetry #AakhiriAlvida