तिरा धन दौलत, माल-ओ-असबाब क्या हुआ..! तिरी इमदाद-ओ- खैरात, वाजिब-ए-ज़कात क्या हुआ..!! इक इंसान भूखा मरे, इक इंसान देखा करे..! इब्न-ए -आदम तू फिर अशरफुल मखलूकात क्या हुआ..!! *माल-ओ-असबाब: अचल संपत्ति *इमदाद, खैरात: दान के प्रकार *वाजिब-ए-ज़कात: जरूरी दान (अमीरों के लिए) *इब्न-ए -आदम: आदम का बेटा ( मानव जाति) *अशरफुल मखलूकात: सर्वश्रेष्ठ योनि ©Abd Khan #Gharib aur Ramadaan #JumuatulWidaa