यूँ तो कई मंजर देखे हैं हमने यारो, पर एक चेहरा आज भी दिल में उतर जाता है,। एक हवा के झोंके से आ कर दिल में समा जाना, जगा जाना ना जाने कितने सोये अरमाँ दिल में, चंद्रबदन कातर नयन कालीकजरारी लटें, वह छबि आज भी आखों में उतर आती है,। कुछ अनकहे कुछ अनसुलझे प्रश्नों की दास्ताँ अब भी दिल को झकझोर देती है मैं जानता हूँ कि तू नही है कहीं भी आसपास पर ना जाने कैसे अहसास दिल में जगा जाती है। हर रातदेखा खवाब दिन में साकार नहीं होता हर मुस्कराहट का मतलब प्यार नहीं होता । मन कहता है कि ये तो तेराअपना भ्रम था अनजान चेहरे में भी तुझे दिखता अपनापन था, वक्त बीत चुका वह हसीन क्यूँ उसका गम है, वह रहा तेरा मनमीत क्या ये कम है। दीप* #भूली-बिसरी दास्ताँ***