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ग़ज़ल जब मैंने उससे मोहब्बत की तो मजा आ गया, बदले

ग़ज़ल
जब मैंने उससे मोहब्बत की तो मजा आ गया,
बदले में उसने सोहबत दी तो मजा आ गया।

वैसे तो यह मुकाम पाना बहुत मुश्किल था यारो,
मगर क्या खूब मेरी किस्मत थी तो मजा आ गया।

तड़प रहा था यही ख्वाहिश लेकर अरसो से में,
जब खुदा ने मुझे इनायत दी तो मजा आ गया।

इश्क़ मुकम्मल होना कोई मामूली बात नहीं है,
जब उसने मुझे अहमियत दी तो मजा आ गया।

पशोपेश में है राही की यह सब कैसे हो गया,
उसने इश्क़ की अदा-ए-कीमत की तो मजा आ गया। #virtuallove
ग़ज़ल
जब मैंने उससे मोहब्बत की तो मजा आ गया,
बदले में उसने सोहबत दी तो मजा आ गया।

वैसे तो यह मुकाम पाना बहुत मुश्किल था यारो,
मगर क्या खूब मेरी किस्मत थी तो मजा आ गया।

तड़प रहा था यही ख्वाहिश लेकर अरसो से में,
जब खुदा ने मुझे इनायत दी तो मजा आ गया।

इश्क़ मुकम्मल होना कोई मामूली बात नहीं है,
जब उसने मुझे अहमियत दी तो मजा आ गया।

पशोपेश में है राही की यह सब कैसे हो गया,
उसने इश्क़ की अदा-ए-कीमत की तो मजा आ गया। #virtuallove