तू मान सिकन्दर बात मेरी और बढ़ता चल, उथला समुन्द्र सामने दूर दूर नही मंजिल फिर भी लड़ता चल, ये मंथन का दौर है अमृत भी तु ही पायेगा तू मथता चल, जो आज सागर की लहरों से जूझेगा, कल इतियास उसी को बुझेगा तो वक्त की धार बदलता चल।। लहरें जो शोर सुनाती हैं तुझे अपनी और बुलाती हैं इन लहरो मैं शामिल होकर चल। चल चल के राह तुझको बुलाती हैं, ये पगडंडी जो खुद को मंजिल बताती है इससे न विचलित हो तू और अकड़ता चल।। जीवन राह मुश्किल है सही, पर संघर्ष विराम को समय नही ,तू गति पकड़ता चल। जिसने आज अगर आराम किया तो कल किसने प्रणाम किया, तू झंझावातों में उलझता चल, चल चल के इतिहास याद करेगा तुझे, वर्तमान की दशा दिशा बदलता चल।। motivational words ##सिकन्दर