White शीर्षक - आबाद मुझको तुम देखकर आज ----------------------------------------------------------------- आबाद मुझको तुम आज देखकर। लेने खबर मेरी तुम आ गए हो।। थकते नहीं अब तारीफ करते। मुझको बुलाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------------।। करते नहीं थे कल बात मुझसे। लगती थी बुरी मेरी गरज कल।। मेरा चमन जो महका है आज। खुशी बाँटने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। समझा था कल क्यों कमजोर मुझको। मिलाया नहीं क्यों कल हाथ मुझसे।। मौजूद हैं आज मेरे सँग सितारें। मुझको मनाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। करते थे परदा कल क्यों मुझसे। बुलाया नहीं क्यों महफ़िल में मुझको।। बेताब हो आज सुनने को मुझको। हमको लगाने गले तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन