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Meri Mati Mera Desh ठहरा हूँ सैलाब देखकर, दरिय

Meri Mati Mera Desh ठहरा  हूँ  सैलाब  देखकर, 
दरिया का फैलाव देखकर, 

रंजिश इतनी रखता है वो, 
लगा भीड़ में ताव देखकर, 

बँटवारे  का  खेल  खेलता, 
बुरा लगा अलगाव देखकर, 

गौरव  गाथा  के परिसर में, 
फक्र हुआ मेहराब देखकर, 

दाल नहीं गल पाया शायद, 
लगा यही बिखराव देखकर, 

असमंजस  में  बैठी जनता, 
डरते  लोग  तनाव देखकर, 

सच की नाव चलाए सेवक,
बैठ शज़र की छाँव देखकर, 

मंज़िल  अभी  दूर है 'गुंजन',
चलो न बाबू ख़्वाब देखकर, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ठहरा हूँ सैलाब देखकर#
Meri Mati Mera Desh ठहरा  हूँ  सैलाब  देखकर, 
दरिया का फैलाव देखकर, 

रंजिश इतनी रखता है वो, 
लगा भीड़ में ताव देखकर, 

बँटवारे  का  खेल  खेलता, 
बुरा लगा अलगाव देखकर, 

गौरव  गाथा  के परिसर में, 
फक्र हुआ मेहराब देखकर, 

दाल नहीं गल पाया शायद, 
लगा यही बिखराव देखकर, 

असमंजस  में  बैठी जनता, 
डरते  लोग  तनाव देखकर, 

सच की नाव चलाए सेवक,
बैठ शज़र की छाँव देखकर, 

मंज़िल  अभी  दूर है 'गुंजन',
चलो न बाबू ख़्वाब देखकर, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ठहरा हूँ सैलाब देखकर#