यहाँ सब मशगूल है, यहां सब मगरूर है। सबका ही अपना अपना, एक नायाब गुरुर है। हम खोजते यहाँ सुकूँ, और रहते सबसे दूर है। जिंदगी का नगीना ढूंढते, जैसे गोताखोर है। हमारी बातें हवाएँ करती, और दरिया किस्से कहता। हम सफ़ीना-ए-हिज्र के, नाविक मशहूर है। #कैफियत