समुन्द्र की साजिश में शहर तबाह हो गए हैं। दूसरों की जान की, ख़ातिर खुद बर्बाद हो गए हैं। मिन्नत की दीवार पे मातम के इश्तिहार छपने लगे हैं, देखो कैसे अपराध धधकने लगे हैं। मजारों पे भी साँत्वना के बाज़ार सजने लगे हैं। आख़री के आख़िर में अस्तित्व की उम्मीद गिरने लगे हैं, लगता हैं, हम संभल के भी गिरने लगे हैं। praajm_amit😐 #Hope ,#reality, #NatureRules