मौत ही चारागर नजर आती हैं ज़िन्दगी जब लाइलाज हो जाती है जब जुबां बोल नहीं पाती है तब जख्मों की जुबां निकल आती हैं। थकी हुई ज़िन्दगी जब हो जाती है किस्मत की लकीरें पैरों में उतर आती है मुफलिसी जब ज़िन्दगी से लिपट जाती है शमा- ए- ज़िन्दगी फड़फड़ाकर बुख जाती है। मुसीबतें भी हैरान हुई जाती हैं इस पर जिसने ये मौत से बदतर ज़िन्दगी गुजारी है। #Mere_alfaaz #मेरेअल्फ़ाज़