पहचान रिश्तों के भंवर में कुछ हम इस तरह उलझ से गए हैं, कोन अपना हैं और कोन पराया यह समझ नहीं पाते हैं। कोई तो ऐसा हमें मिले जो बताऐं हमें हमारी पहचान से, आखिर प्यार में क्यों हम अक्सर खुद से धोखे ही खाते हैं। कहाँ जाकर खोजे हम ऐसे शख्स को जो बनें हमारी पहचान, आखिर क्यों दोस्ती भी बीच बाजार में हमें अकेला छोड़ जाती हैं। To My Love Devanshi, आज तेरी आंखों में हमने वो अपनापन देख लिया हैं, तुम्हारें हसीन लबों पर हमारा नाम सुन ही लिया हैं। नहीं आता हमें तुम्हारे सपनों से यूंह मजाक बनाना, वादा किया था हमने कि करेंगे तुम्हारे सारे सपने पूरे प्यार जै तुमसे हैं । यूंह खुद को तड़पाते रहने से कुछ ना होगा हासिल तुम्हें बात ही कर दिया करते हैं, अक्सर हमारे ख्वाबों में हम तुम्हारा ही दिदार और इंतजार करते हैं।