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हमारी मोहब्बत जैसे दो किनारे, जो रहते हैं हमेंशा


हमारी मोहब्बत जैसे दो किनारे,
जो रहते हैं हमेंशा एक दूजे के सामने,
और जुड़े हैं सच्चे जज़्बात से,
फिर भी नहीं मिलते कभी एक दूसरे से।

दो साँसे चल रही हैं एक ही जिंदगी में,
दो धड़कने धड़क रही है एक ही दिल में, 
दो रूह भी जी रही है एक ही आसमा के नीचे, 
तो फिर यह मोहब्बत के किनारों की दूरी क्यों? 

मंजिल को रास्तों से जोड़ा, 
रात को रोशनी से, चाँद को सितारों से, 
आसमा को नीले रंग से जोड़ा, प्रकृति ने 
सारी चीजों को जोड़ा आपस में सिवाय किनारों के। 

ढूँढ रहे हैं आज हम दोनों यह मोहब्बत के किनारों का छोर, 
ग़र जिंदगी की पगडंडी पर मिल गया यह छोर, 
तो लगेगा जैसे कि हमारी डूबती, 
मोहब्बत की नाव को एक पतवार मिल गया। 

-Nitesh Prajapati  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1035 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

हमारी मोहब्बत जैसे दो किनारे,
जो रहते हैं हमेंशा एक दूजे के सामने,
और जुड़े हैं सच्चे जज़्बात से,
फिर भी नहीं मिलते कभी एक दूसरे से।

दो साँसे चल रही हैं एक ही जिंदगी में,
दो धड़कने धड़क रही है एक ही दिल में, 
दो रूह भी जी रही है एक ही आसमा के नीचे, 
तो फिर यह मोहब्बत के किनारों की दूरी क्यों? 

मंजिल को रास्तों से जोड़ा, 
रात को रोशनी से, चाँद को सितारों से, 
आसमा को नीले रंग से जोड़ा, प्रकृति ने 
सारी चीजों को जोड़ा आपस में सिवाय किनारों के। 

ढूँढ रहे हैं आज हम दोनों यह मोहब्बत के किनारों का छोर, 
ग़र जिंदगी की पगडंडी पर मिल गया यह छोर, 
तो लगेगा जैसे कि हमारी डूबती, 
मोहब्बत की नाव को एक पतवार मिल गया। 

-Nitesh Prajapati  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1035 #collabwithकोराकाग़ज़

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