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मैं भी एक कवि होता आज दिल किया कुछ

मैं भी एक कवि होता 

              आज दिल किया कुछ खास कर जाऊँ
    तो मन बनाया की कविता पर ही कविता लिख आऊँ
       कविता का सोंदर्य शब्दों में बयान हो नहीं सकता
                  इसकी सच्चाई का केसे बखान करूँ
             जी करता है इसके अर्थों का गुणगान करूँ
                 जिसके हर शब्द हर बात में गहराई है
                       जो शब्दों से खेल जाता है
                       वही इसको समझ पाता है
                   रूप माधुर्य इसका अनूठा अंग है
                    कवि और कविता रहते संग है
          इसके मनमोहक रूप को करते सभी बयान है
                          कोई कहता राधा तो
                   किसी के लिए मीरा का श्याम है
             भावनाओ और अर्थों में होते कई राज है
                            कभी बने शबरी
                         तो कभी बने ताज है
                  इसको पढ़ने व समझने के लिए
             साहित्य समुद्र में लगाना होता है गोता
                    खास मैं भी एक कवि होता

                                                   महेंद्र बंशी मेघवंशी Mukesh Kumar
मैं भी एक कवि होता 

              आज दिल किया कुछ खास कर जाऊँ
    तो मन बनाया की कविता पर ही कविता लिख आऊँ
       कविता का सोंदर्य शब्दों में बयान हो नहीं सकता
                  इसकी सच्चाई का केसे बखान करूँ
             जी करता है इसके अर्थों का गुणगान करूँ
                 जिसके हर शब्द हर बात में गहराई है
                       जो शब्दों से खेल जाता है
                       वही इसको समझ पाता है
                   रूप माधुर्य इसका अनूठा अंग है
                    कवि और कविता रहते संग है
          इसके मनमोहक रूप को करते सभी बयान है
                          कोई कहता राधा तो
                   किसी के लिए मीरा का श्याम है
             भावनाओ और अर्थों में होते कई राज है
                            कभी बने शबरी
                         तो कभी बने ताज है
                  इसको पढ़ने व समझने के लिए
             साहित्य समुद्र में लगाना होता है गोता
                    खास मैं भी एक कवि होता

                                                   महेंद्र बंशी मेघवंशी Mukesh Kumar