सूरज चाँद न सही कुछ सितारा रखना वक़्त की आवाज़ है ..भाईचारा रखना ज़िंदगी क़ौम की औरों के नाम की अपनों से हर्गिज नहीं किनारा रखना गुज़र जाये मज़लूमों की भी शाम यहाँ ऐ हमवतन ऐसा अब गुज़ारा रखना क़दम से क़दम मिला न पाओ ऐ दोस्त दहलीज़ पे रौशनी का सहारा रखना दिल तो बेलगाम है इसका गिला क्या तुम घर में आँगन ओ ओसारा रखना जाने वाले इल्ज़ाम तेरा हक़ नहीं है मुश्किल है याद में दोबारा रखना चलने से मत घबरा चल नदीम चल उनका नसीब है राह में अंगारा रखना नदीम हसन चमन. #सूरज चांद न,सितारा रखना #ग़ज़ल #शायर-नदीम #प्रस्तुति-मुमताज़ हसन