रात की बातें अब पुरानी होने लगी है, लगता कहीं कोई कहानी बनने लगी है। नहीं पता कि हुआ क्या इस बेचारे दिल को, बस लगता आज़ नींदों से बग़ावत होने लगी है। क्या हुआ, कैसे हुआ नहीं मालूम अब मुझे, बस आपसे शिकाय़तें कुछ़ ज्य़ादा होने लगी है। मिलना हमारा तुमसे तो बस एक जरियाँ ही था, कहने को अब आश़िकी पुरानी सी होने लगी है। कहानी हमारी कुछ़ इस तरह शुरू हुई है, कि सारें अरमान दिल के फ़िर ज़िदा हुएं है। जानें क्या हुआ ऐसा कि ख़ुद़ से बग़ावत हुई है, मेरी कहानी को अब आपका साथ जो मिला है। अक़्सर मैं सोचता था कि अब नहीं कुछ़ मुमकिन, पर आपसे मिलने के बाद़ सब हुआ मुमकिन जो है। मतलब के रिश्तों से मिला मुझे धोख़ा हर बार और,