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सबके सामने रह मुस्कुराऊं एकांत में फूट-फूट कर अश्र

सबके सामने रह मुस्कुराऊं
एकांत में फूट-फूट कर अश्रु बहाऊं
किरदार में ऐसा निभाऊं
जिसमें मैं खुद ही नाचु खुद ही बजाऊं
प्रेम की आस में
 मैं रोज़ प्रभु के सामने  
मिलन का दीप जलाऊं
पर मैं अपने हृदय को
 ज़माने का आईना भी दिखाऊं
कुछ पल घबराऊं, हृदय को बहलाऊं
जो है नहीं नसीब में
उस झुठी निंद्रा से उसे जगाऊं
लेकिन उम्मीद की ज्वाला को मैं
कभी बुझा ही न पाऊं।।

©Bhaरती
  #उम्मीद_की_ज्वाला_को_मैं_बुझा_ही_न_पाऊं🔥
bhartikotlu8620

Bhaरती

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उम्मीद_की_ज्वाला_को_मैं_बुझा_ही_न_पाऊं🔥 #Quotes

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