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तुम्हारे हृदय में 'मैं' नहीं ं हूँ,पर 'मैं' बड़ा ह

तुम्हारे हृदय में 'मैं' नहीं ं हूँ,पर 'मैं' बड़ा हैं
तुम गिन भी नहींंं ंसकते कितनी बार यह अश्रु काजल से लड़ा हैं
अब इन आँखों में काजल नहीं ंनित अश्रु सजाऊँ
मैं भूल गई खुद को कैसे तुम्हें भुलाऊँ?

_mirror of words✨ गोपी भाव
तुम्हारे हृदय में 'मैं' नहीं ं हूँ,पर 'मैं' बड़ा हैं
तुम गिन भी नहींंं ंसकते कितनी बार यह अश्रु काजल से लड़ा हैं
अब इन आँखों में काजल नहीं ंनित अश्रु सजाऊँ
मैं भूल गई खुद को कैसे तुम्हें भुलाऊँ?

_mirror of words✨ गोपी भाव