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नमनमंच विधा/कविता विषय/अंधा युग 15-4-23 *अंधा

नमनमंच
विधा/कविता
विषय/अंधा युग
15-4-23

    *अंधा युग*
अंधेयुग  का आया मोड़
लगी हुई आधुनिकता की होड़ 
दिखा रही सब अंग।
पहले जैसा है नहीं अब जीने का ढंग।
अंग-प्रदर्शन में लगे उनका मन मलंग।
अंधेयुग ने दिया जीवन मरोड़ 
फटी जीन्स पहनकर दिखाती अपना रंग।
अपने मन में सोचती मैं हूं कितनी चंग।
भरे हैं पर्स में चाहे करोड़ 
फटे कपड़ो मे देख यूं हम तो रह गये दंग।
लाज ,शर्म स्त्री का गहना 
इसे ना रखती संग।
अंधेयुग की राह में 
संस्कारों को रही छोड़ 
हो रही सब बेरंग।
फैशन की आग में दिखा
 रही सब अंग।
वैसे तो नारियों ने जीत ली है सारी जंग।
किंतु जब तक ना पहेनेगी
लाज शर्म का गहना
जब तकअंधेयुग को नही छोड़ 
तब तक दिखाती रहेगी 
अपने अंग-प्रत्यंग।

डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
स्वरचित व मौलिक रचना
@everyone

©rekha jain
  #अंधा युग
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rekha jain

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#अंधा युग

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