....पहला आदमी अंधकार में खो गया। भूख से पस्त शोभा सुन रहा था। वह केवल इतना ही समझ पाया कि चावल की चोरी हो रही है। चावल? तब तो माँगना चाहिए। शायद कुछ दे दें। नावें खुलने लगीं। वह वेग से कूदकर एक नाव में चढ़ गया और इससे पहले कि उसके मुँह से कुछ निकले, तड़ातड़ चार लठ्ठ उसके सिर पर बज उठे। वह लुढक कर नदी में गिर गया और पछुआ नौकरों से सुरक्षित नावें चल पड़ीं।... ब्रिटिश साम्राज्य को उस समय भी अपने श्रेष्ठ प्रबंध पर अभिमान था। वह सत्य और न्याय के लिए भारत पर अपना शासन चला रहा था।... सुबह नदी पर एक फूली हुई लाश तैर रही थी जिस पर योगियों की तरह गिद्ध बैठे हुए थे। #विषाद_मठ #coronavirus #विषाद_मठ #रांगेय_राघव