गीतों का कभी भी जड़ता से संबंध नहीं रहा क्योंकि गीत चैतन्य है अंतर्यात्रा है ज़ब भी ह्रदय क़े शून्य मे होने लगती है हलचल .तभी गीत का प्रस्फुटन हो जाता है गीत का ज्ञान से भी कभी संबंध नहीं रहा उसकी निरापद निर्दोषता का गुण तो संवेदनात्मक प्रेम क़े आगोश मे ही पलता और पुष्ट होता है l हर नया छंद गीत को दिव्यता. की सौगात दे जाता है...... और वही छंद गीत को निराकार आत्मिक अहसास से भर देता है ©Parasram Arora # गीत का जन्म..... ..