यूं मसगुल राहों पर बहुत सख्स हैं मेरे, एक ख़ामोशी एक बेचैनी, एक साथी तेरी यादें मेरी हमदम है, रातों को सकून बन आती हैं, दिन को जो बहुत तरपाती है, अंधेरा ही एक उदास सक्स की, पनाहगाह हो जाती है, रोशनी से जरा घबराते हैं, तेरी याद बन वो आते हैं, अंधेरे कुछ क़दर मुझे सकूं दे पाते हैं, खामोशी ही सबक बन जाती है, दिल टूटे लोगों की कहानियां सुनाती है, फूस फूसा के ही सही सच तो बतलाती है, चांद में तसव्वुर दिखता है उनका, ख़्वाब से अब रोज़ नई बातें होती है, अंधेरा ही एक उदास सक्स की, पनाहगाह होती है। यूं मसगुल राहों पर बहुत सख्स हैं मेरे, एक ख़ामोशी एक बेचैनी, एक साथी तेरी यादें मेरी हमदम है, रातों को सकून बन आती हैं, दिन को जो बहुत तरपाती है, अंधेरा ही एक उदास सक्स की, पनाहगाह हो जाती है,