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आज मेरी खुद के *भाग्य*से बहस हो गई इतने दिन साथ थ

आज मेरी खुद के  *भाग्य*से बहस हो गई
इतने दिन साथ थी क्यो मैं तुझसे खो गई।।
तुम तो कहते थे कि भाग्य ही है सब कुछ
अब क्यो  बीच मे छोणे जा रहे हो मुझ।।
मैने बोला भाग्य से बणी है मेरी *तमन्ना*
अब तक तो साथ था..............
 अब तेरे जैसा नही बनना।।
अब तक तेरा साथ था भाग्य अब *कर्म* भी मेरे साथ 
एक हाथ तेरा है और एक है अब उसका हाथ ।।
अब  तो कर्म भी दोस्त है मेरा 
*कर्तव्य*, *शील*, *धैर्य*,*निष्ठा* का संग है बसेरा।।
वो दोस्त कहते है कर्तव्य से तू कर्म कर
फल को पाने की चिंता और पाना धर्म कर ।।
इस कर्म के रास्ते *कर्तव्य* तेरा साथ देगा
सपने देख पूरा कर *शील* तेरी परिक्षा लेगा।।
*निष्ठा*  होगी जब *धैर्य* भी तेरा देगा साथ
*कर्म* को तु करा चल लोगों का हाथों मे लेके हाथ।।
संगठन के बल पर तू *सफलता* पायेगा 
लक्ष्य को संधान प्यारे तू विजेता बन जायेगा।।
अब तक तेरा साथ था भाग्य अब कर्म भी मेरे साथ 
एक हाथ तेरा है और एक है अब उसका हाथ ।।
#JitendraSingh 
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©Jitendra Singh
  #जितेन्द्रसिंहविकल