रातें बर्बाद कर देता हूँ... ........अक्सर..... सोच के मुल्क -ऎ -शमशीर पे,,,, समझनी हो मेरे इश्क की पैमाने... तो...... कभी हमारी खोलियो से हो के गुजरना.... रातें बर्बाद कर देता हूँ... ........अक्सर..... सोच के मुल्क -ऎ -शमशीर पे,,,, समझनी हो मेरे इश्क की पैमाने...