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Think it out 'सोच कर तो देखे' मनुष्य की इच्छा कभी

Think it out 'सोच कर तो देखे'
मनुष्य की इच्छा कभी खत्म नहीं होती,
लेकिन कभी कभी मनुष्य अपनी खुद की इच्छा पूरी करने में ही,
कुछ समय के बाद खुद के ही पद चिन्हों को भी खत्म कर लेता है,
हम इसे शुरुआती दौर में मनुष्य की प्रवृत्ति और ज्यादा अग्रसर होने पर,
खुद की बढ़ती हुई महत्वाकांक्षा दोनों नजरिये देखा जा सकता है।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #footprints #Poet #poem 
Think it out 'सोच कर तो देखे'
मनुष्य की इच्छा कभी खत्म नहीं होती,
लेकिन कभी कभी मनुष्य अपनी खुद की इच्छा पूरी करने में ही,
कुछ समय के बाद खुद के ही पद चिन्हों को भी खत्म कर लेता है,
हम इसे शुरुआती दौर में मनुष्य की प्रवृत्ति और ज्यादा अग्रसर होने पर,
खुद की बढ़ती हुई महत्वाकांक्षा दोनों नजरिये देखा जा सकता है।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #footprints #Poet #poem