ज़ो चमन गुलज़ार था पहले अब बर्बादी की ओर बड़ रहा मजहब की आड़ मे दरन्दगीया पल रही है हर शहर मे कहर की लहर चल रही है नेताओं की दीवानगी बस कुर्सी क़े लीए जी रही है इन दिनों मैखानो मे शराब की किल्ल्त बड़ रही है क्योंकि मस्जिदों मे मुफ्त की अफीम बंट रही है ©Parasram Arora इन दिनों......