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गमो का इतना बड़ा ज़खीरा देख खुशियाँ हमसेदूर भागती रह

गमो का इतना बड़ा ज़खीरा देख खुशियाँ हमसेदूर भागती रहीं
हम  आंसू     बहाते रहे  ता  उम्र ..  पर इस बात को भला  कौन  देखता था?
पागल  समझ कर  ज़माने  ने हमेँ  ठुकराया था
पर दुनिया क़े इस पागलपन को भला कौन देखने वाला था.?
 कितना मुश्किल है  इस बगैरत दुनिया मे मंजिल अपनी ढूंढ लेना.
तभी तो हम भटकते रहे थे जीवन भर पर ये सच भला कौन
जानता था.?
एक सच को छुपाने क़े लिये हमने संकड़ो झूठ  बोले थे
फिर भी सच तो एक दिन उजागर हुआ था लेकिन इस. सच को भला कौन  देख्ग्ता था?

©Parasram Arora कौन देखता था?
गमो का इतना बड़ा ज़खीरा देख खुशियाँ हमसेदूर भागती रहीं
हम  आंसू     बहाते रहे  ता  उम्र ..  पर इस बात को भला  कौन  देखता था?
पागल  समझ कर  ज़माने  ने हमेँ  ठुकराया था
पर दुनिया क़े इस पागलपन को भला कौन देखने वाला था.?
 कितना मुश्किल है  इस बगैरत दुनिया मे मंजिल अपनी ढूंढ लेना.
तभी तो हम भटकते रहे थे जीवन भर पर ये सच भला कौन
जानता था.?
एक सच को छुपाने क़े लिये हमने संकड़ो झूठ  बोले थे
फिर भी सच तो एक दिन उजागर हुआ था लेकिन इस. सच को भला कौन  देख्ग्ता था?

©Parasram Arora कौन देखता था?