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मेरी पहली रचना लिखूँगा एक दिन जरूर लिखूँगा मेरे अ

मेरी पहली रचना

लिखूँगा एक दिन जरूर लिखूँगा
मेरे अन्दर की हर बात लिखूँगा
                    लिखूँगा ऐसा की कलम भी रो देगी
                    अपने अनुभव के वो सारे ज़ज्बात लिखूँगा
जो लिख न पाया तो गम नहीं
लोगों को पढकर ही कुछ सीखूँगा
                राज तो तब है जब मैं कुछ न बोलूँ
                और किसी के मन का दरवाजा न खोलूं
आज इस मंच पर ये जो चार पंक्तियाँ बोलूंगा
तो न जाने कितने लोगों को खलूँगा
               लिखना बोलना तो एक आदत है पर
               लोगों के दिलों को छू जाए वो एहसास लिखूँगा
                                  
                                                  महेंद्र बंशी मेघवंशी

©Mahendra Banshi Meghwanshi #cycle
मेरी पहली रचना

लिखूँगा एक दिन जरूर लिखूँगा
मेरे अन्दर की हर बात लिखूँगा
                    लिखूँगा ऐसा की कलम भी रो देगी
                    अपने अनुभव के वो सारे ज़ज्बात लिखूँगा
जो लिख न पाया तो गम नहीं
लोगों को पढकर ही कुछ सीखूँगा
                राज तो तब है जब मैं कुछ न बोलूँ
                और किसी के मन का दरवाजा न खोलूं
आज इस मंच पर ये जो चार पंक्तियाँ बोलूंगा
तो न जाने कितने लोगों को खलूँगा
               लिखना बोलना तो एक आदत है पर
               लोगों के दिलों को छू जाए वो एहसास लिखूँगा
                                  
                                                  महेंद्र बंशी मेघवंशी

©Mahendra Banshi Meghwanshi #cycle