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#Pehlealfaaz देवी पड़े जरूरत संघार करना कटे मुंडों

#Pehlealfaaz देवी

पड़े जरूरत संघार करना
कटे मुंडों से श्रृंगार करना
रणचंडी बन दुर्ग रचाना
लक्ष्मी सी तलवार नचाना
 बन जा दुर्गा दिखला दे तू
रण क्या हैं सिखला दे तू
छोड़ ममता अवगुंठन को
स्वार्थी मनुष्य के चिंतन को
फूलन और संतोष बन अब
रक्तिम रण का सृजन कर अब
सौ कोटि शत्रु तू एक अकेली
क्रीड़ा ऐसी छुटपन में खेली
तू खेल रण, चिंगारी है 
तू एक अकेली भारी है
तू नीलकंठ का विष विशाल
तलवार कटारी पाश कृपाल
चक्र ,वज्र ,ऋष्टि ,मुग्दर
शीश काट तू विचर विचर
शोणित सलिला की ओजस्र धार
करती है रण को तार तार
खड़ खड़ करती शिरीष बनी
कुंठित लोहित अवधूत बनी
थर थर थर्राए अवनि
गड़ गड़ कर गरजे नभ भी
सी सी  करती बहे मलय
सोम गरल का विमल प्रणय
लास्य जानता हर्षित जो मन
 तांडव रव से विचलित वो तन 
तेरे हृदय का हर विचार
भीषण दुविधा का द्वंद अपार
उस जलज सरीखा है
लड़ना ,बहना,सहना,कहना
जिसने प्रलयंकर से सीखा है
शंख नाद पर समर खेलती
सुर ,असुर अन्याय ठेलती
ज्वाल सदृश कुंतल बिखरा
पीड़ा का नंगा नाच दिखा
चिल्लर में तुझको  तौल दिया
जा अनल हस्त में ठेल दिया
हो कुंदन वीभत्स उठा
धमनी में रौद्र रस उठा
जहान्वी विस्तार  वृहद कर ले
वक्षस्थल सरहद कर ले
आज विचरेगा क्रंदन
बन कर काली के कपाल का मण्डन
सोहे विभावरी का चन्दन
मृत्यु सौ पाश बिछाएगी
सौ कोटि भक्ष के जाएगी
जो कनक कलेवर सोन चिरैया
उसे क्या बेचेगा रुपैया
दो उपलों की एक सलिल तू
शिरीष सेवती का सा दिल तू
तू गंगा का अविरल वेग पुनीत
तू सच्चे मोती का एक सीप
तू भूमि के भीतर ताप प्रबल
तू उत्तुंग शिखर तू ही समतल
तू तप्त रवि और सोती सन्ध्या
तू चंडीघाट  तू ही विंध्या
तू कामाख्या की अमर ज्वाल
तू हिमगिरि का पर्वत विशाल
तू ईला के वीना के शब्द ताल
तू मणिकर्णिका के नैन लाल
तू हिंगलाज और वैद्यनाथ
तू कोमल कठोर सब एक साथ
छन छन बजते नुपूर भी
तू पास मेरे और दूर भी
तू विजयी है निशस्त्र भी
तू शून्य और सहस्त्र भी
तू हाला में डूबा प्याला है
तू पूरी पूरी मधुशाला है
तू हल्दी चन्दन का पराग
नंदा देवी और अनंतनाग
तू झाँसी का द्वेष राग
गाँधी सुभाष सब एक साथ
हर हृदय खोल तू बस्ती है
तू ही तो सृष्टि रचती है


परिभाषाएं है आतुर
कण्ठ आज  बदलने को
तेरी गाथाओं के छन्द बिम्ब
अब चारण कारण भजने को
पर जो सृजन स्त्रोत है
जो वात्सल्य प्रेम से ओत प्रोत है
कष्ट सहकर आज भी उसने
मनुज तन को सिंचित किया है
सच तम रूपी वर्तिका ने
आलोक को लज्जित किया है #falconfilmsslc
#Pehlealfaaz देवी

पड़े जरूरत संघार करना
कटे मुंडों से श्रृंगार करना
रणचंडी बन दुर्ग रचाना
लक्ष्मी सी तलवार नचाना
 बन जा दुर्गा दिखला दे तू
रण क्या हैं सिखला दे तू
छोड़ ममता अवगुंठन को
स्वार्थी मनुष्य के चिंतन को
फूलन और संतोष बन अब
रक्तिम रण का सृजन कर अब
सौ कोटि शत्रु तू एक अकेली
क्रीड़ा ऐसी छुटपन में खेली
तू खेल रण, चिंगारी है 
तू एक अकेली भारी है
तू नीलकंठ का विष विशाल
तलवार कटारी पाश कृपाल
चक्र ,वज्र ,ऋष्टि ,मुग्दर
शीश काट तू विचर विचर
शोणित सलिला की ओजस्र धार
करती है रण को तार तार
खड़ खड़ करती शिरीष बनी
कुंठित लोहित अवधूत बनी
थर थर थर्राए अवनि
गड़ गड़ कर गरजे नभ भी
सी सी  करती बहे मलय
सोम गरल का विमल प्रणय
लास्य जानता हर्षित जो मन
 तांडव रव से विचलित वो तन 
तेरे हृदय का हर विचार
भीषण दुविधा का द्वंद अपार
उस जलज सरीखा है
लड़ना ,बहना,सहना,कहना
जिसने प्रलयंकर से सीखा है
शंख नाद पर समर खेलती
सुर ,असुर अन्याय ठेलती
ज्वाल सदृश कुंतल बिखरा
पीड़ा का नंगा नाच दिखा
चिल्लर में तुझको  तौल दिया
जा अनल हस्त में ठेल दिया
हो कुंदन वीभत्स उठा
धमनी में रौद्र रस उठा
जहान्वी विस्तार  वृहद कर ले
वक्षस्थल सरहद कर ले
आज विचरेगा क्रंदन
बन कर काली के कपाल का मण्डन
सोहे विभावरी का चन्दन
मृत्यु सौ पाश बिछाएगी
सौ कोटि भक्ष के जाएगी
जो कनक कलेवर सोन चिरैया
उसे क्या बेचेगा रुपैया
दो उपलों की एक सलिल तू
शिरीष सेवती का सा दिल तू
तू गंगा का अविरल वेग पुनीत
तू सच्चे मोती का एक सीप
तू भूमि के भीतर ताप प्रबल
तू उत्तुंग शिखर तू ही समतल
तू तप्त रवि और सोती सन्ध्या
तू चंडीघाट  तू ही विंध्या
तू कामाख्या की अमर ज्वाल
तू हिमगिरि का पर्वत विशाल
तू ईला के वीना के शब्द ताल
तू मणिकर्णिका के नैन लाल
तू हिंगलाज और वैद्यनाथ
तू कोमल कठोर सब एक साथ
छन छन बजते नुपूर भी
तू पास मेरे और दूर भी
तू विजयी है निशस्त्र भी
तू शून्य और सहस्त्र भी
तू हाला में डूबा प्याला है
तू पूरी पूरी मधुशाला है
तू हल्दी चन्दन का पराग
नंदा देवी और अनंतनाग
तू झाँसी का द्वेष राग
गाँधी सुभाष सब एक साथ
हर हृदय खोल तू बस्ती है
तू ही तो सृष्टि रचती है


परिभाषाएं है आतुर
कण्ठ आज  बदलने को
तेरी गाथाओं के छन्द बिम्ब
अब चारण कारण भजने को
पर जो सृजन स्त्रोत है
जो वात्सल्य प्रेम से ओत प्रोत है
कष्ट सहकर आज भी उसने
मनुज तन को सिंचित किया है
सच तम रूपी वर्तिका ने
आलोक को लज्जित किया है #falconfilmsslc