जन सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी से खुलासा हुआ है कि पूर्व सांसदों की पेंशन पर कुल 70,50,00000 रु (70 करोड़ 50 लाख ) वार्षिक खर्च किया जाता है। ज्ञात हो कि सांसदों की न्यूनतम पेंशन 25000 प्रतिमाह होती है। जिसमे 5 वर्ष से ज़्यादा कार्यकाल के लिए अगले हर वर्ष पर 2000 रु प्रति माह अतिरिक्त वृद्धि होती है। यहाँ तक तो सब ठीक है। अब असली खेल की तरफ ध्यान दीजिए। जब लोकसभा सचिवालय से कुल पेंशनर सांसदों की संख्या पूछी गयी तो जबाब 3849 बताया गया। इसी प्रकार राज्यसभा के पेंशनर्स एमपी की संख्या 847 बताई गई। कुल मिलाकर योग 4796 हुआ। ठीक यही संख्या जब पेंशन देने वाले केंद्रीय पेंशन लेखा विभाग से पूछी गयी तो जबाब चौंकाने वाला था। इस विभाग के अनुसार लोकसभा के कुल पेंशनर्स एमपी 1470 और राज्यसभा के कुल पेंशनर्स 708 हैं। जिनका कुल योग 2170 है। गौर कीजिए सचिवालय कुल पेंशनर्स सांसदों की संख्या 4796 बता रहा है और वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला केंद्रीय पेंशन लेख विभाग ये संख्या 2170 बता रहा है। अब सवाल ये है कि दोनों की संख्या के अंतर 2618 वाले पेंशनर्स एमपी कौन हैं ? ये बहुत बड़ा घोटाला प्रतीत होता है। ये वो देश है जिसमे करोड़ों रु का विज्ञापन देकर आम जनता से गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील की जाती है। रेलवे में सफर करने वाले लाखों बुजुर्गों से सब्सिडी छीन ली जाती है और राहुल बजाज, संजय डालमिया जैसे उद्योगपति पूर्व सांसद की पेंशन पाते हैं। काश आर्थिक रूप से मजबूत पूर्व सांसदों, विधायकों को भी पेंशन छोड़ने के लिये कहा जाता ! कहावत भी है कि 'पर उपदेश,कुशल बहुतेरे । जन सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी से खुलासा हुआ है कि पूर्व सांसदों की पेंशन पर कुल 70,50,00000 रु (70 करोड़ 50 लाख ) वार्षिक खर्च किया जाता है। ज्ञात हो कि सांसदों की न्यूनतम पेंशन 25000 प्रतिमाह होती है। जिसमे 5 वर्ष से ज़्यादा कार्यकाल के लिए अगले हर वर्ष पर 2000 रु प्रति माह अतिरिक्त वृद्धि होती है। यहाँ तक तो सब ठीक है। अब असली खेल की तरफ ध्यान दीजिए। जब लोकसभा सचिवालय से कुल पेंशनर सांसदों की संख्या पूछी गयी तो जबाब 3849 बताया गया। इसी प्रकार राज्यसभा के पेंशनर्स एमपी की संख्या