इंसान कहीं से भी, इंसान नहीं दिखता, भारत पहले जैसा, महान नहीं दिखता।। क्या मान करेंगे ये, इस भारत माता का, माँ-बाप की खातिर भी सम्मान नहीं दिखता।। प्रचार यहाँ झूठे सच का, रावण को करते देखा, इंसानियत को इंसानों, के हाथों ही मरते देखा।। रावण की लंका है, जहाँ राम की नगरी थी, यहाँ दूर तलक़ कोई भी राम नहीं दिखता।। हर चौराहे पर दुर्योधन, चीर हरण करते देखे, हर ओर चीखती द्रौपदियों, के दामन भी बिकते देखे।। यहाँ कंस भी दिखते हैं, कौरव भी दिखते है, यहाँ कृष्ण नहीं दिखते, बलराम नहीं दिखता।। हर ओर तो भजन-अज़ानें हैं, पर दिल-दिल से बेगाने हैं, मंदिर में चढ़ता है सोना और भूख से जाती जानें हैं।। इंसानों का दिल देखो, ईश्वर भी दिख जायेंगे, पत्थर की मूरत में, भगवान नहीं दिखता।। कुछ लोग दीवाने आज भी हैं, देश पे जो मर जाते हैं, और कुछ इतने नालायक हैं, इन पर पत्थर बरसाते हैं।। जिस देश का खाते हैं, उस देश को खाते हैं, अपने ही भारत पर, अभिमान नहीं दिखता।। इंसान 👤 #psr #prashantsinghrajawat #insaan #nojotohindi