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सूखे पत्तो की तरह थी यह ज़िन्दगी तुम्हारे आने से ह

सूखे पत्तो की तरह थी यह ज़िन्दगी
तुम्हारे आने से ही
जीना सिखा 
लेकिन अब यह ज़िन्दगी भी बोझ जैसी
लगने लगी 
हारा जो तुम से तो खुद को खो बैठे
इस ज़िन्दगी से हम भी तनहा
हो बैठे #तुम_ज़िन्दगी_थीं_जो_नाराज_बैठी_हो
सूखे पत्तो की तरह थी यह ज़िन्दगी
तुम्हारे आने से ही
जीना सिखा 
लेकिन अब यह ज़िन्दगी भी बोझ जैसी
लगने लगी 
हारा जो तुम से तो खुद को खो बैठे
इस ज़िन्दगी से हम भी तनहा
हो बैठे #तुम_ज़िन्दगी_थीं_जो_नाराज_बैठी_हो