Mumbai Rains बारिश की बूंदे होती ना कभी अजनबी, बचपन की किलकारी से बुढ़ापे की दहलीज तक। मिलती हर बरस उसी अंदाज में , मनचली, अल्हड़ सी कोई सहेली। भिगोती नहीं सिर्फ काया को, रूह तक जज्ब हो बूंदों से। आती और यादों का कारवां बनाती, हर बरस कुछ लम्हा जीने को , नहीं ये तो संदेश लाती , तुम भी बरसो झूम के ना बनो अजनबी, बचपन से बुढ़ापे तक समभाव लाओ, मिलो उसी अंदाज में, मनचली,अल्हड़ सी तुम भी सखी, रिश्ते जोड़ो तुम सदा बस रूह से, दिल तो भर जाएगा ये तो झील हैं, रूह के रिश्ते जुड़े वहीं मील हैं। #संदेश बारिश की बूंदों का।