किसान भूखों के लिए भगवान हूं मैं हां " किसान" हूं मैं मेहनत और पसीने से सींचा हूं अपने फसलों को जैसे कोई शायर लिख रहा होगा गजलों का.... कड़ाके की धूप ,कप कपाती ठंड सब सहना पड़ता है अपने फसलों की रखवाली के लिए रात दिन खेतों में रहना पड़ता है हम दाने-दाने को मोहताज हो जाते हैं जब यह मौसम हमसे नाराज हो जाते हैं भूखों के लिए भगवान हूं मैं हां " किसान " हूं मैं