कैसा कलयुग आया है, जहाँ कुछ लोग इंसानियत का ढोंग रचते है ! अब इतना तकल्लुफ़ भी ना कीजिए हुज़ूर, हम ऐसे जानवरों की बेहतर परख रखते है ! पंकज जैन #poem#shayari#kavita#poet#hindi#dil_ke_bhav_kalam_ki_zubaan#poet#shayar#kavi