इस व्यस्तता भरे ज़माने में सूकूनमय ठहरावट सी, किसी शख़्स की शख्सियत भी होती है महज़ बस एक आदत सी। मद्धिम- मद्धिम ख्यालों के भर नयनों में काजल, वृंदा के छाए में जब भटके एक पागल, प्रतिबिंब शावले शख्स का जब आता है रिझाने, वह आदत वाली शख्सियत, फिर आती है समर्पण सिखाने। महज एक शख्स की शख्सियत जब आदत बन जाती है, सुकून भरे हर लम्हे में उसकी जरूरत बढ़ जाती है। यादों के समस्या पर लेटा एक शख्स, काल में लिपटे वाणों को देखता हर वक़्त, स्मरण कर बिंब जिवन के हर व्यक्तित्व का, आदत बन जाती हैं महान सी शख्सियत, प्रभावित करे हर लम्हा जो आपके अस्तित्व का। ©Rashmi Ranjan #twistedthoughts