वराड़ा ...मेरी जन्मभूमि, एक छोटा सा कस्बा , जिस ने मुझे बच्चे से जवान होते हुए देखा । जहाँ की सड़क , जहाँ की हवा ,जहाँ का पुल ,जहाँ के चौक मुझे आज भी मेरे नाम से जानते हैं । जहाँ हनुमान जी गार्डन के छोटे से bench पर बैठ कर मैं ने एक बड़ा ख़्वाब देखा था । वही मेरा क़स्बा मुझे आवाज़ दे रहा है ।....... अब ये पता करना मुश्किल है ये आवाज आपकी है या वराड़ा की,,,,,,,,,,,,,,, -प्रवीण mera gaon