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वो ख़ुद ख़ामोश रहा इसलिए ख़ामोश रही मैं भी ख़ामोश

वो ख़ुद ख़ामोश रहा इसलिए ख़ामोश रही मैं भी 
ख़ामोश सवालों का जवाब दिया जाता है ख़ामोशी से ही।
और दे भी देती मैं उसकी बातों का जवाब अगर मुझे ये यक़ीन होता की 
उसके सवाल सिर्फ़ मेरे लिए है,किसी और के लिए नहीं।
लेकिन दे नहीं पाई मैं जवाब कोई क्यूॅंकि 
पुराने क़िस्से, पुराने तजुर्बे मैं भूली आज भी नहीं।
मस'अला किसी और से न पहले था,मस'अला किसी और से आज भी नहीं 
शिकायत पहले भी उसी से थी, शिकायत अभी भी है सिर्फ़ उसी से ही।
मेरी ग़लत-फ़हमीयों को हमेशा सिर्फ़ बढ़ाया है उसने ,
मेरी ग़लत-फ़हमीयोंको उसने ख़त्म कभी किया ही नहीं ।
उसकी हर बात,हर सवाल हर, शिकायत सिर्फ़ मेरे लिए है,
इतना सा भी यक़ीन उसने मुझे कभी दिलाया ही नहीं।
किसी और के लिए आता है वो, हमेशा यही महसूस कराया है उसने मुझे,
वो मुझसे मिलने आता है ऐसा मुझे कभी महसूस हुआ ही नहीं।
फ़िर किस यक़ीन और हक़ से देना चाहिए मुझे उसकी बातों का जवाब??
क्या उसके ख़ुद के दिल में ये सवाल आता नहीं??
और क्यूॅं दूॅ़ मैं उसकी बातों का जवाब?? जब वो ख़ुद कहता है कि 
जिसके इंतज़ार में मैं हूॅं वो ख़ुद 'वो शख़्स ' है ही नहीं ।

#bas yunhi ek khayaal .......

©Sh@kila Niy@z
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