पाठशाला है एक पहेली, जो सुलझी कुछ ही दिनों में, बस गई वह यादें सिर्फ ज़हन मे, और पीछे तो सिर्फ रह गई, वह खाली बेंच पाठशाला की। क्या वह दिन थे, सुबह उठते स्कूल जाते, पढ़ाई कम और नखरे बाज़ी ज्यादा करते, दोपहर को घर आकर खाना खाकर सो जाते, शाम को उठकर फिर, दोस्तों के साथ खेलने जाते। था बचपन हमारा सुहाना, जब आँखे भी हमारी सफेद ही रहती थी, ना जिम्मेदारी का बोझ था, ना ही जिंदगी क्या है वह समझ पड़ती थी, दोस्तों, पाठशाला, नखरे बाजी और, खेलना ही हमारी जिंदगी थी जैसे। इसीलिए तो पाठशाला को, पहेली का नाम दिया, के वो सुलझी तो सही, लेकिन थोड़े वक़्त के लिए ही, और पीछे तो रह गई सिर्फ बचपन की यादें। -Nitesh Prajapati OPEN FOR COLLAB 🌷♥️ कविता लिखें. ✍️अपने पोस्ट highlight-share करना ना भूले. “ शब्दसारथी “ जीने यह विषय सुझाव दिया है.शुभदिन मित्रों 😊 #पाठशाला #hindiquotes #hindi #हिंदी #collab #hindicollab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with शब्दसारथी