उसे पूरी शिद्दत से चाह ना सका मैं, रस्म वफ़ा की निभा ना सका मैं। मेरे प्यार में थी कुछ कमियां, जिनको सुधार ना सका मैं। सामने मेरे थी वो रूबरू, पर सीने से उसे लगा ना सका मैं । इश्क़ मेरा अधूरा ही रहा, रश्क ए अमावस जैसा। वो सिर्फ मेरी थी, पर अपना उसे बना ना सका मैं। ©S ANSHUL'यायावर' khalish