कौन जानता था नाकाम होंगी सभी तदबीरें मेरी लगता नहीं बदल जायेगी तकदीर मेरी ताउम्र ख्वाबों मे गुज़ार दीं जिन्दगी अपनी शायद ही बन पाये कोईख्वाब हकीकत मेरी आँधियों से लौ बचा रखी है जीवन की धुंधलाती दिखने लगी भविष्य की सभी तस्वीरे मेरी ©Parasram Arora कौन जानता था?