चाँद निकला तो अंधेरा भी मुस्कराने लगा फूल जो महका तो काँटों पे नशा छाने लगा प्यार का ही ती जादू था जो मिट्टी का सितार शब्द कोई न हुआ औऱ गुनगुनाने लगा... चाँद निकला