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उसे चाँद में भी नजर आती हैं सौ कमियां, पर मेरे मुख

उसे चाँद में भी नजर आती हैं सौ कमियां,
पर मेरे मुखड़े को वो बेदाग कहती है।
मैं कुछ बुझा बुझा सा रहता हूँ आजकल,
पर मेरी माँ मुझे घर का चिराग कहती है।

©अभिजित त्रिपाठी #चाँद
#माँ
#प्रेम
#मुखड़ा
#सुंदरता
#चिराग
#दाग
#काव्य
उसे चाँद में भी नजर आती हैं सौ कमियां,
पर मेरे मुखड़े को वो बेदाग कहती है।
मैं कुछ बुझा बुझा सा रहता हूँ आजकल,
पर मेरी माँ मुझे घर का चिराग कहती है।

©अभिजित त्रिपाठी #चाँद
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