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बूंदों की अभिलाषा है जीवन घट भरने के पहले, सिंचित

बूंदों की अभिलाषा है
जीवन घट भरने के पहले,
सिंचित हो तृण तरु धरती
नव पल्लव से भर जाए।

©Shubhendra Jaiswal
  #शुभाक्षरी #अभिलाषा #स्वयंसिध्द