#5LinePoetry क्या कभी लौटेगा प्रवासी जल इन मारुसथलो मे मरुस्थल कैसे भूल सकते है वे दिन ज़ब सागर यहां भी कभी ठाठेंमारा करता था इसीलिए आज भी वो स्वप्न लहराती तरलता. क़ेही देखता है और उसका ये दर्द सन्नाटों मे कई बार गूँजता हुआ सुनाई भी पड़ता है ©Parasram Arora प्रवासी जल.....