World Poetry Day 21 March निर्भया नाम उसका निर्भय उसकी रूह मरते मरते मर गयी पर कर गयी जीना उनका दुरूह देवलोक से निहार रही थी जाने कबसे उसकी नज़र दिन ओ तारीख ये बीस मार्च, बीस-बीस आखिर हुई अमर अजर इस पहल से है उम्मीद यही हवस को अपनी कदम उठाने से पहले इक बार तो समझायेगा देर भले हुई इसमें पर अब इस हैवानियत का ग्राफ कुछ तो नीचे आयेगा।। #justice #court