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उसकी, ​यादों के परिंदे, ​उड़कर.. जा पहुंचे, ​अतीत क

उसकी,
​यादों के परिंदे,
​उड़कर.. जा पहुंचे,
​अतीत के शहर,
​जहाँ.. दम घोंटते,
​आशाओं के धुएं,
​बादल बन बरसते,
​हर साँझ...उसकी नम आँखों से,
​उसके ही,
​तपते लहू की गर्म अग्नि से,
​​और..जा बैठे,
​उम्मीद की,
​टिमटिमाती रौशनी से नहाये,
अपनी ​इच्छाओं के,
​मकान की मुँडेर पर,
​प्रेम का दाना चुगने, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#बंदिनी

उसकी,
​यादों के परिंदे,
​उड़कर.. जा पहुंचे,
​अतीत के शहर,
उसकी,
​यादों के परिंदे,
​उड़कर.. जा पहुंचे,
​अतीत के शहर,
​जहाँ.. दम घोंटते,
​आशाओं के धुएं,
​बादल बन बरसते,
​हर साँझ...उसकी नम आँखों से,
​उसके ही,
​तपते लहू की गर्म अग्नि से,
​​और..जा बैठे,
​उम्मीद की,
​टिमटिमाती रौशनी से नहाये,
अपनी ​इच्छाओं के,
​मकान की मुँडेर पर,
​प्रेम का दाना चुगने, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#बंदिनी

उसकी,
​यादों के परिंदे,
​उड़कर.. जा पहुंचे,
​अतीत के शहर,
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