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उसके हाथों में किसी और का हाथ था, मेरे हाथों में

उसके हाथों में किसी और का हाथ था, 
मेरे हाथों में ज़िंमेदारी का बोझ था,
उसकी शादी का दिन था,
मेरे पास नए ऑर्डर्स का पर्चा था,
वो किसी अपने की तलाश में थी,
मैं दुश्मन की तलाश में था,
वो ज़िन्दगी से लड़ रही थी,
मैं ज़िन्दगी के लिए लड़ रहा था,
वो दुल्हन सी सज रही थी,
मैं मौत के लिए सज्ज हो रहा था,
उसने कहा था मैं मतलबी बड़ा था,
 हाँ शायद सही थी वो,
मैं अपने लिए नहीं अपने देश के लिए खड़ा था,
अफ़सोस नहीं मुझे उसे खोने का,
क्योंकि मेरे पिता ने मुझे अपने आँखरी शब्दों में कहा था:-
"बलिदान परम धर्मा"

©Lohit Tamta उसके हाथों में किसी और का हाथ था, 
मेरे हाथों में ज़िंमेदारी का बोझ था,
उसकी शादी का दिन था,
मेरे पास नए ऑर्डर्स का पर्चा था,
वो किसी अपने की तलाश में थी,
मैं दुश्मन की तलाश में था,
वो ज़िन्दगी से लड़ रही थी,
मैं ज़िन्दगी के लिए लड़ रहा था,
उसके हाथों में किसी और का हाथ था, 
मेरे हाथों में ज़िंमेदारी का बोझ था,
उसकी शादी का दिन था,
मेरे पास नए ऑर्डर्स का पर्चा था,
वो किसी अपने की तलाश में थी,
मैं दुश्मन की तलाश में था,
वो ज़िन्दगी से लड़ रही थी,
मैं ज़िन्दगी के लिए लड़ रहा था,
वो दुल्हन सी सज रही थी,
मैं मौत के लिए सज्ज हो रहा था,
उसने कहा था मैं मतलबी बड़ा था,
 हाँ शायद सही थी वो,
मैं अपने लिए नहीं अपने देश के लिए खड़ा था,
अफ़सोस नहीं मुझे उसे खोने का,
क्योंकि मेरे पिता ने मुझे अपने आँखरी शब्दों में कहा था:-
"बलिदान परम धर्मा"

©Lohit Tamta उसके हाथों में किसी और का हाथ था, 
मेरे हाथों में ज़िंमेदारी का बोझ था,
उसकी शादी का दिन था,
मेरे पास नए ऑर्डर्स का पर्चा था,
वो किसी अपने की तलाश में थी,
मैं दुश्मन की तलाश में था,
वो ज़िन्दगी से लड़ रही थी,
मैं ज़िन्दगी के लिए लड़ रहा था,
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Lohit Tamta

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