शब्द मेरा हो... तुम्हारा हो या फिर कृष्ण का ही क्योंकि न हो वो बबूले की तरह दिखेगा फूलेगा फटेगा फिर अगली यात्रा पर निकल जायेगा पर वही शब्द सार्थक हैँ जो अपना यथार्थ जमाने के लिए छोड़ जाये जिसमे सत्य का प्रतिफलन हो जो आने वाली नस्लों. को न्यायोचित पथ पर ले जाने में सक्षम हो शब्द की यात्रा